अनिमेष मिश्रा

जबलपुर दैनिक द लुक। जबलपुर की सड़कों पर इन दिनों एक नई प्रवृत्ति देखने को मिल रही है,जहां कारों एवं बाईकों में सफेद या नीली एलईडी (LED) हेडलाइट्स का बढ़ता चलन अन्य सामान्य रुप से वाहन चलाने वाले वाहन चालकों एवं राहगीरों पर गहरा प्रभाव डाल रहा है, चाहे दोपहिया वाहन हो या चार पहिया गाड़ियाँ, सफेद एलईडी लाइटें आम बात हो गई हैं। यह ट्रेंड देखने में आकर्षक लगता है, लेकिन इसके पीछे छिपे खतरों और कानूनी पहलुओं की अनदेखी लोगों की और समाज की सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकती है।

  1. आंखों पर असर और दुर्घटनाओं का खतरा:
    तेज सफेद या नीली एलईडी लाइटें आम हैलोजन बल्बों की तुलना में कहीं अधिक तेज होती हैं। ये लाइटें सामने से आ रहे वाहन चालकों की आंखों में तेज चकाचौंध पैदा करती हैं, जिससे कुछ पल के लिए विजन ब्लर हो जाता है। इस वजह से रात के समय ओवरटेकिंग, मोड़ पर मुड़ना या सामने से आने वाले वाहनों को पहचानना मुश्किल हो जाता है।
  2. रात में दृश्यता को खराब करती हैं :
    ये अत्यधिक चमकदार लाइटें अक्सर ड्राइवर के लिए स्पष्टता की बजाय “ग्लेयर” (चमक का बुरा प्रभाव) पैदा करती हैं, जिससे सड़क पर चल रहे पैदल यात्री या जानवरों को देखना मुश्किल हो जाता है।
  3. स्थानीय लोगों को परेशानी :
    जिन क्षेत्रों में लोग सड़क के किनारे चलते हैं या दुकानों के सामने खड़े रहते हैं, वहाँ तेज लाइटें उनकी आंखों पर सीधा असर डालती हैं, जिससे सिरदर्द और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं होती हैं,कई स्थानों पर यह देखा गया है कि अधिक तेज लाईट होने की वजह से शहर में रात के समय एक्सीडेंट की घटनाओं का ग्राफ बढ़ रहा हैं।

 कानूनी स्थिति: LED लाइटें लगाना वैध ?

भारत में गाड़ियों में उपयोग होने वाली लाइटिंग पर सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स (CMVR), 1989 के तहत नियम तय किए गए हैं,उनके अनुसार :

  • किसी भी वाहन में मूल रूप से निर्माता द्वारा दी गई लाइटिंग से छेड़छाड़ करना अवैध है।
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के निर्देश अनुसार, वाहन में ऐसे किसी लाइटिंग सिस्टम का उपयोग नहीं किया जा सकता जो अन्य चालकों की दृष्टि बाधित करे या सड़क सुरक्षा को खतरे में डाले

जानकारों के मुताबिक मानक हेडलाइट्स का कलर – व्हाइट या येलो होता है, लेकिन अत्यधिक सफेद, नीली या मल्टीकलर एलईडी/एचआईडी लाइटों का प्रयोग नियमों के विपरीत है,मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत ऐसे लाइटों का गैर-कानूनी रूप से उपयोग करने पर ₹5000 तक का जुर्माना या वाहन जब्ती की कार्रवाई की जा सकती है।


 ग्राहक और दुकानदारों की भूमिका भी अहम

स्थानीय ऑटोमोबाइल बाजार में कई दुकानदार बिना आरटीओ अनुमति के ऐसी LED किट बेचते हैं जो गैरकानूनी होती हैं। साथ ही, ग्राहक भी ट्रेंड और लुक्स के चक्कर में नियमों को नजरअंदाज कर बैठते हैं।


 नागरिकों से अपील: सजग बनें, सुरक्षित रहें

रात के समय वाहन चलाना वैसे भी जोखिम भरा होता है, ऐसे में तेज लाइटों का गलत इस्तेमाल केवल दूसरों के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए भी खतरा बन सकता है। जबलपुर की जनता से अपील है कि वे अपने वाहन में किसी भी प्रकार की अवैध या गैर-मानक लाइटिंग का प्रयोग न करें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें।


 

 

जबलपुर ट्रैफिक पुलिस क्या कहती है ?

फिलहाल इस विषय के प्रति चालानी कार्यवाही जबलपुर यातायात विभाग नहीं कर रहा है औऱ न ही इस ओऱ विभाग का ध्यान है क्योंकि यह देखा गया है कि पूर्व में यातायात विभाग जबलपुर की कमान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती सोनाली दुबे संभाल रही थी लेकिन उनका भोपाल तबादला होने के बाद से जिले में यातायात व्यवस्था का ग्राफ सकारात्मक तौर पर ऊपर ले जाने का प्रयास कोई अधिकारी जबावदारी के साथ नहीं कर पा रहा है फिलहाल समान्य चालानी कार्यवाहियों के द्वारा ही हेलमेट जैसी व्यवस्थाओं को लागू करने के प्रयास जारी हैं, चौराहों और मुख्य सड़कों पर चेकिंग अभियान चलाए जा रहे है।


वाहन चालक यदि स्वयं के विवेक से सोचे और समझे तो उसे समझ आएगा कि सफेद LED लाइटें चाहे जितनी भी आधुनिक लगें, अगर वे नियमों के खिलाफ हैं और दूसरों को असुविधा या खतरा पहुँचा रही हैं, तो उनका उपयोग एक अपराध है,कानून का पालन करते हुए वाहन का उपयोग करना ही एक जिम्मेदार नागरिक की पहचान है।