अनिमेष मिश्रा

जबलपुर दैनिक द लुक। शहर में अतिक्रमण विभाग के दस्तें को निगम कमिश्नर ने अवैध अतिक्रमण करने वालों पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये है तो वहीं दूसरी ओर पूर्वं में जबलपुर कलेक्टर को हाईकोर्ट से फटकार लगने के बाद अतिक्रमण हटाने के लिए विभाग में तेजी देखी जा रही है लेकिन अतिक्रमण विभाग की यह तेजी एक आम व्यापारी के लिए परेशानी का सबब बन गई है,जहां बिना दस्तावेंज देखे अतिक्रमण विभाग ने जानकारी के मुताबिक न्यायालय से स्टे प्राप्त जमीन पर जिसमें एक व्यापारी की दुकान आर.एन कलेक्शन  संचालित की जा रही थी,उक्त स्थान पर जेसीबी मशीन चला कर नगर निगम को परेशानी में डाल दिया हैं।

दरअसल क्षेत्रीय व्यापारियों के मुताबिक छोटी लाईन स्थित चौराहे पर समदड़िया बिल्डर के द्वारा एक वृहत बिल्डिंग हाउबाग रेल्वें स्टेशन की भूमि पर बनाई जा रही है जिसके कारण आदि शंकराचार्य चौक को और अधिक चौड़ा करने के नाम पर समदड़ियां की निर्माणाधीन जमीन के बाजू में स्थित कुछ दुकानों को निशाना बनाकर उन्हें निगम के अतिक्रमण विभाग के द्वारा दुकानों को ध्वस्त कराया जा रहा है ताकि एक बड़ी और खूबसूरत ईमारत के बाजू में किसी प्रकार की दुकान न सजें इससे कही ईमारत और बिल्डर की कमाई पर बुरा प्रभाव न पड़ें इसलिए अतिक्रमण विभाग के माध्यम से सड़क किनारे लगी दुकानों को जिनसे नगर निगम टैक्स के रुप में एक निर्धारित शुल्क वसूलने के बाद भी उन्हें उखाड़ फेकने के लिए आतुर है जिसका विरोध करते हुए क्षेत्रीय व्यापारियों ने समदड़ियां बिल्डर औऱ निगम की मनमर्जी पर आरोप लगाए हैं।

 

क्या है पूरा मामला –

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वर्ष 2017 से 2019 के मध्य छोटी लाईन, आदिशंकराचार्य चौक पर स्थित हाऊबाग की जमीन पर समदड़िया बिल्डर के द्वारा एक बड़ा प्रोजेक्ट लागू करने के लिए तैयारियां शुरु की जाती है और समय के साथ प्रोजेक्ट का कार्य़ धीमें – धीमें बढ़कर एक बिल्डिंग का रुप लेने को तैयार होता है,जहां वर्तमान समय में बड़ा शापिंग मॉल जैसा कुछ व्यापार डालने के लिए बिल्डर के द्वारा तय सीमा के भीतर चौड़ी सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है जहां ठीक जमीन के बाजू में कुछ दुकानें कतारों के अनुसार लगी हुई थी लेकिन उस वक्त जब बिल्डर के द्वारा बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा था तब उक्त दुकानों को निगम के माध्यम से सूचना देकर अतिक्रमण के दायरे से बाहर करते हुए सड़क के दूसरे छोर मतलब कि बिल्डिंग की जमीन पर स्थित नालें के आगें दुकानों को शिफ्ट कर दिया गया जिसके बाद से लगातार जानकारी के मुताबिक नगर निगम के द्वारा उक्त दुकानों से निर्धारित शुल्क का वसूली की जा रही थी लेकिन अचानक से उक्त दुकानदारों के अनुसार सभी दस्तावेंज पूर्ण होने के बाद भी निगम के अतिक्रमण विभाग ने छोटे व्यापारियों पर कहर बरपा दिया और जेसीबी मशीन से दुकानों के एक हिस्सें को तोड़ दिया।

 

कौन भरेगा,हर्जाना ----

दुकानदार बताते है कि जिस दुकान को जबरन तोड़ा गया उक्त दुकान के सभी कागज,दस्तावेंज एवं न्यायालय से प्राप्त स्टे आर्डर को ढाल बनाकर जिम्मेंदारों के सामने प्रस्तुत किया गया लेकिन न्यायालय के जजमेंट के बाद भी निगम के अधिकारियों ने दुकान को तोड़ा और कोर्ट के फैसले का अपमान किया जिसके विरुद्ध भी अदालत में पीड़ित दुकानदारों के वकील ने याचिका दायर की है। निगम अधिकारियों पर व्यापारियों ने आरोप लगाये कि यह सभी कार्य समदड़िया बिल्डर के कहने पर ही अधिकारियों ने किया क्योंकि न्यायालय के आदेश की अवेहलना करने की क्षमता किसी अधिकारी में नहीं होती है इसलिए इसके विरोध में नगर निगम का घेराव भी जल्द किया जाएगा लेकिन सवाल यहीं है कि यदि न्यायालय से स्टे होने के बावजूद जो नुकसान निगम के अतिक्रमण विभाग ने दुकानदारों का किया है यह साबित होने के बाद में कौन उक्त व्यापारियों के नुकसान की भरपाई करेगा अथवा कौन दोषी साबित होने के दौरान यदि व्यापारी अपनी दुकानों को वापस राखी के त्यौहार के लिए तैयार कर लेते है तो उसके बाद भी दुकानों के संचालन में उन्हें परेशान किया जाएगा ?

जन प्रतिनिधियों का साथ छूटा ----------

क्षेत्रीय व्यापारियों ने उक्त इलाके के स्थानीय नेताओं से भी मदद की गुहार लगाई लेकिन पश्चिम विधानसभा के विधायक एवं वर्तमान के लोकनिर्माण मंत्री ने भी महाकौशल चेंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से भेजे गए लैटर पैड पर शिकायत का कोई जबाव नहीं दिया गया न ही निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के साथ अन्य जिम्मेंदारों ने पल्ला झाड़ लिया।

 

जिम्मेंदारों का क्या कहना है ---

निगम कमिश्नर प्रीति यादव महोदय को जब इस मामलें से जुड़े पहलुओं से दैनिक द लुक समाचार पत्र ने अवगत कराते हुए सवाल किया तो उनका जवाब आया कि यदि ऐसी स्थितियां है,वर्तमान में यदि उक्त दुकानदार के पास सभी दस्तावेंज मौजूद है तो वह निगम कमिश्नर के समक्ष पेश करें तभी मामलें का निर्णय किया जा सकता है क्योंकि वर्तमान समय में अतिक्रमण करने वालों पर कार्यवाही जारी है लेकिन यदि कोई व्यक्ति परेशानी में फंसता है तो वह नगर निगम में प्रमाण प्रस्तुत करें ताकि उसे असुविधा का सामना न करना पड़ें।

दूसरी तरफ जब एसडीएम गोरखपुर से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि यदि मामला स्टे आर्डर का है और इसे निगम की अतिक्रमण टीम ने हटाया है तो उचित कार्य़वाही निगम के हाथों में होगी।

इसी सवाल को लेकर जो आरोप समदड़िया बिल्डर पर व्यापारियों द्वारा लगाए जा रहे है उक्त सवालों पर उनका पक्ष जाननें के लिए उनसे समाचार पत्र द्वारा फोन एवं संदेश के माध्यम से संपर्क किया गया लेकिन उनका कोई जबाव न आने की वजह से यह मौन स्वीकृति के रुप में माना जा सकता है कि कहीं न कहीं गलती तो हुई है लेकिन बिल्डर के द्वारा पक्ष न रखने की वजह से कुछ स्पष्ट भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि मामलां न्यायालय में लंबित है और स्टे के आर्डर है तो कोर्ट का फैसला ही भविष्य में खामियों को उजागर करके दोषियों पर कार्यवाही से संबधित टिप्पणी कर सकता हैं।