अनिमेष मिश्रा

जबलपुर दैनिक द लुक। शहर का हनुमानताल तालाब जो कभी प्राचीन काल में अपनी खूबसूरती और स्वच्छ जल के लिए जाना जाता था जहां बड़े बुजुर्ग बच्चों को कहानियां सुनाते हुए बताया करते थे कि एक समय हनुमानताल तालाब का लुत्फ उठाने राजा – महाराजा यहां तालाब में आया करते थे तो कभी रानियों के हनुमानताल तालाब के नजदीक आकर मन बहलाने के किस्से सुननें को मिलते थे लेकिन आज के वर्तमान समय में शहर के 52 ताल तलैयों वाले एक तालाब हनुमानताल को अपनी पहचान भूलनें को विवश होना पड़ रहा है औऱ इसकी वजह हैं शहर के जन प्रतिनिधि जिनके द्वारा शहर के अनेकों ताल – तालाबों के सौदंर्यीकरण कराने के नाम पर ख्याति हासिल करने की दौड़ लगाई जा रही हैं,जिसकी जीता जागता उदाहरण है शहर के मध्य में स्थित “ हनुमानताल तालाब .... “

2 करोड़ रुपयों से होना था सौदंर्यीकरण –

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वर्तमान समय 2025 से ठीक 22 साल पहले मतलब कि वर्ष 2001 के आसपास पिछली बार हनुमानताल तालाब की सफाई का कार्य किया गया था और एक समय आज का है,जब फरवरी 2025 में एक बार फिर हनुमानताल तालाब के सौदंर्यीकरण के नाम पर लगभग 1.76 करोड़ रुपये से अधिक की राशी की एक सौदंर्यीकरण की योजना बनाकर हनुमानताल एवं एक और अन्य तालाब की स्थिति को सुधारने के लिए मास्टर प्लान जबलपुर नगर निगम अधिकारियों के द्वारा बनाया गया लेकिन इस स्वच्छता प्लान का श्रेय लेने के लिए भाजपा उत्तर मध्य विधानसभा से विधायक अभिलाष पांडे और महापौर जगत बहादुर अन्नू की श्रेय लेने की होड़ में निगम अधिकारियों का यह हनुमानताल तालाब को साफ करने का प्लान पानी में समा गया और वर्तमान समय में हालत यह है कि हनुमानताल तालाब के जिस सौदंर्यीकरण के कार्य़ को तकरीबन 6 माह में पूर्ण होना था वह वर्तमान समय में 50 प्रतिशत भी नहीं हो पाया है...

जबकि बारिश के पहले यदि हनुमानताल तालाब की गंदगी को मशीनों एवं मजदूरों की सहायता से बाहर निकाल लिया जाता तो पहले से गंदा पड़े हनुमानताल तालाब को स्वयं की दुर्दशा देखने के लिए विवश न होना पड़ता क्योंकि यदि मामला निगम अधिकारियों के हाथ में होता तो कहीं न कहीं स्थिति में सुधार की संभावना थी लेकिन जैसे ही स्वच्छता में श्रेय लेने के लिए होड़ मची तो निगम अधिकारियों को किनारा दिखा दिया गया क्योंकि यह बात जनप्रतिनिधि ठीक तरीके से जानते है कि यदि हनुमानताल तालाब का सौदर्यीकरण हो गया तो श्रेय उन्हें मिलेगा औऱ यदि हनुमानताल तालाब अस्वच्छ पड़ा रह गया तो गाज अधिकारियों पर ही गिरेगी।

साल भर होता है प्रतिमाओं का विसर्जन ------

हनुमानताल तालाब में साल में अनेकों बार सनातन को मानने वालें भक्तों की आस्था के साथ उनकी प्रिय भगवानों की प्रतिमाएं भी हनुमानताल तालाब में विसर्जित होती है लेकिन इस बात का पता होने के बावजूद हनुमानताल तालाब को गंदगी के बीच सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है औऱ इस गंदगी से अपनी खामी को छुपाने के लिए निगम अधिकारियों ने भी बारिश का सहारा लेने की तरकीब बना ली है क्योंकि भारी बारिश के मौसम में अगस्त महीनें के बाद हनुमानताल तालाब बारिश के पानी से भर जाएगा और गंदगी या तो सड़को पर बहेगी या हनुमानताल तालाब के नीचे सतह पर बैठ जाएगी लेकिन इससे भक्तों की आस्था को जो हानि पहुंचेगी,उसे करोड़ो रुपयें खर्च करने के बाद भी भरवाई के रुप में वापस नहीं किया जा सकेगा।

निगम अधिकारियों की चुप्पी ---

नगर निगम कमिश्नर प्रीति यादव एवं अपर आयुक्त विद्यानंद बाजपेयी से हनुमानताल तालाब की स्वच्छता को लेकर पक्ष जानना चाहा गया उनसे संपर्क भी किया गया लेकिन उक्त अधिकारियों का हनुमानताल तालाब के विषय पर कोई जबाव नहीं आया.. जिससे यह बात तो स्पष्ट हो गई है कि यदि निगम अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है तो जरुर उन अधिकारियों को इस बात का अंदाजा है कि हनुमानताल तालाब की गंदगी समय पर साफ नहीं हुई तो इससे जनता का भरोसा और जनता के टैक्स से 2 करोड़ की राशी का कितना सद्पयोग किया गया है,इस बात का जबाव नगर निगम के जिम्मेंदार अधिकारी नहीं दें पाएगें।