हाथरस पुलिस द्वारा जिस अंतरराज्यीय बच्चा चोर गिरोह का खुलासा किया गया है, उसके द्वारा अभी तक 10 बच्चों को बेचा जा चुका है। यह सभी दिल्ली, यूपी और झारखंड में करोड़पति परिवारों को दिए गए हैं। लड़के को छह लाख और लड़की को तीन लाख में बेचा गया है। हाथरस पुुलिस ने दिल्ली की विकासपुरी कालोनी से जो दो बच्चे मुक्त कराए हैं, वह भी दो कारोबारी परिवारों ने छह-छह लाख में खरीदे थे। अब पुलिस गिरफ्तार गिरोह के सदस्यों की निशानदेही पर सभी को मुक्त कराने में लगी है।

यह गिरोह 15 सदस्यों का है। इसमें दिल्ली, हाथरस, आंध्रप्रदेश और झारखंड के लोग शामिल हैं। इस गिरोह से जुड़े लोग अलग-अलग जगहों से बच्चों को चोरी करते हैं या उठाते हैं और फिर उनका सौदा कर देते हैं। हाथरस पुलिस ने मई माह में अगवा बच्चे के मामले में दिल्ली की मधु को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। बृहस्पतिवार को पुलिस ने मधु को रिमांड पर लेकर जब पूछताछ की तो पता चला कि अब दस 10 बच्चे गिरोह ने बेचे हैं। मधु की निशानदेही पर दिल्ली के विकासपुरी से सोनिया नाम की महिला को गिरफ्तार किया है। उसकी गिरफ्तारी के बाद ही दो बच्चों को मुक्त कराया जा सका है। 
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एसपी हाथरस चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि मधु ने पूछताछ में जो बताया है उसके मुताबिक लखनऊ, झारखंड, दिल्ली में सबसे ज्यादा बच्चों को बेचा गया है। यह एक संगठित गिरोह और इसके सदस्यों का मुख्य ठिकाना दिल्ली है। उत्तरी राज्यों से अगवा बच्चों को दक्षिणी राज्यों और वहां से अगवा बच्चों को उत्तरी राज्यों में बेचा जाता है। चोरी होने से लेकर बेचे जाने तक बच्चा गिरोह के कई सदस्यों के हाथों से होकर गुजरता हुआ खरीदार तक पहुंचता है।

आईवीएफ सेंटर से नाउम्मीद दंपतियों को जाल में फंसाता है गिरोह

हाथरस पुलिस की जांच में सामने आया कि गिरोह के सदस्य आईवीएफ सेंटर से नाउम्मीद होने वाले दंपतियों को अपना निशाना बनाते थे और मुंह मांगे दामों पर उन्हें फर्जी गोदनामे के आधार पर बच्चा बेच देते हैं। इस गिरोह में शामिल महिलाएं व पुरुष दिल्ली व अन्य प्रांतों में संचालित आईवीएफ सेंटरों में भी काम कर चुके हैं। गिरोह के कुछ सदस्य अब भी वहां काम कर रहे हैं, जिनकी तलाश में पुलिस जुटी है। गिरोह के सदस्य उपचार के बाद भी मां-बाप न बनने वाले दंपतियों से संपर्क साधते थे और पैसे वाले लोग और संपन्न परिवार आसानी से इनके चंगुल में फंस जाते थे।

पुलिस के अनुसार बच्चे की उम्र-सुंदरता के आधार पर रेट तय किए जाते हैं। नवजात बच्चे के अधिक रेट मिलते थे। इन दंपतियों की बेटा या बेटी मिलने की डिमांड के बारे में जानकारी ली जाती है। लड़का छह लाख रुपये में और लड़की के लिए दो से तीन लाख सौदा तय हो जाता था। पुलिस को कुछ आईवीएफ सेंटर में काम करने वाली महिलाओं के इस गिरोह से जुड़े होने की जानकारी मिली है। इनकी भी तलाश की जा रही है।

छह साल पहले रेलवे स्टेशन से अगवा हुई थी बच्ची

करीब छह साल पहले एक बच्ची का अपहरण रेलवे स्टेशन से हुआ था। जिसे पुलिस अब तक नहीं तलाश पाई है। दिव्यांग मालती पत्नी झम्मन लाल निवासी नया बांस, सुरीर, मथुरा अपनी तीन बेटियों और एक बेटे को लेकर पति के साथ दिल्ली के शाहदरा थाना क्षेत्र के मीत नगर में रहती है। पति ई-रिक्शा चलाकर परिवार को पालन-पोषण करता है। रक्षाबंधन पर मालती गंगीरी निवासी अपने भाई को राखी बांधने के आई थी। स्टेशन पर वापसी के दाैरान एक महिला उसकी एक साल की बेटी लक्ष्मी को खिलाने के बहाने लेकर गायब हो गई। पुलिस इस घटना में अब तक अपहर्त बच्ची को तलाश नहीं सकी है।