अनिमेष मिश्रा

जबलपुर दैनिक द लुक। शहर का विक्टोरिया अस्पताल गरीब एवं मध्यम वर्गीय मरीजों के लिए एक वरदान साबित होता है लेकिन कई बार देखा जाता है कि सरकारी अस्पताल होने के बावजूद भी राज्य सरकार से सभी व्यवस्थाएं मिलने के बाद भी जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में लंबी झोल माल हो जाता हैं... इसी तरह से जबलपुर विक्टोरिया जिला अस्पताल में कई वर्षों से पदस्थ जिला चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी संजय मिश्रा पर अनेकों आरोपों के चलते उन्हें लोकायुक्त की जांच का सामना करना पड़ रहा हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि जबलपुर के विक्टोरिया (सिविल) अस्पताल के प्रभारी सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा के खिलाफ लोकायुक्त मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में हाईकोर्ट जबलपुर ने लोकायुक्त को स्टे की अवधि समाप्त होने के बाद अभी तक कार्रवाई नहीं करने पर नोटिस भेजा हैं।


 

मुख्य तथ्य    ------------------------

मुद्दा

विवरण

शिकायतकर्ता

नरेन्द्र कुमार राकेशिया ने 16 जुलाई 2024 को लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज की थी जिसमें आरोप था कि डॉ. संजय मिश्रा ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियमों (Conduct Rules) का उल्लंघन किया है, और संपत्ति संबंधी अनियमितताएं (जैसे “दो पत्नियों का मुद्दा”) हैं

हाईकोर्ट का निर्देश  

जबलपुर हाईकोर्ट की बेंच (न्यायाधीश विशाल धगट) ने लोकायुक्त कार्यालय को 45 दिन में जांच पूरी करने और याचिकाकर्ता को परिणाम से अवगत कराने का आदेश दिया था ।

कार्रवाई में देरी                 और नोटिस

समयसीमा निकल जाने के बाद भी लोकायुक्त द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने लोकायुक्त के समक्ष जवाब दाखिल करने हेतु नोटिस जारी किया है ।

राज्य सरकार का   रुख                                               

एमपी हाईकोर्ट ने एक अन्य याचिका में कहा कि अभी मामला लोकायुक्त कार्यालय में लंबित है, इसलिए याचिकाकर्ता ने अदालत जाना "थोड़ा जल्दी" शुरू कर दिया था ।


    सूत्र क्या कहते हैं ------

  1. लोकायुक्त जांच की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्य की एंटी‑करप्शन एजेंसी यानी लोकायुक्त कार्यालय की है।
  2. हाईकोर्ट अब हस्तक्षेप कर चुका हैसीधे लोकायुक्त को निर्देश जारी करके 45 दिन में सुनवाई और कार्रवाई करने का आदेश दे चुका है।
  3. समयसीमा बीत चुकी है, लेकिन अब तक रिपोर्ट या कार्रवाई सार्वजनिक नहीं हुई — इसलिए कोर्ट ने लोकायुक्त को जवाब देने को कहा है।

आगे क्या हो सकता है -

  • लोकायुक्त को अब अदालत में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी — जैसे रिपोर्ट दाखिल करना या जांच अभियान शुरू करना।
  • यदि लोकायुक्त निष्क्रिय रहता है, तो हाईकोर्ट सख्त निर्देश या खुद सुनवाई भी शुरू कर सकता है।
  • इसके बाद ही पता चलेगा कि क्या डॉ. मिश्रा पर कार्रवाई की जाती है (जैसे सस्पेंशन, अग्रिम जांच, डिजॉल्टि नियमों उल्लंघन के कारण नोटिस) या मामला बंद हो जाता है।
  • हाईकोर्ट का आदेश (30 अप्रैल 2025)
    जबलपुर हाईकोर्ट की एक पीठ ने लोकायुक्त को निर्देश दिया है कि वह CMHO डॉ. संजय मिश्रा के खिलाफ नरेन्द्र कुमार राकेशिया द्वारा 16 जुलाई 2024 को दर्ज शिकायत पर 45 दिनों में गहन जांच पूरी करे और जांच की स्थिति याचिकाकर्ता को सूचित करे।
  • लोकायुक्त की कार्रवाई में देरी
    अदालत द्वारा घोषित समयसीमा समाप्त होने के बाद भी लोकायुक्त द्वारा कोई रिपोर्ट या कार्रवाई नहीं की गई, जिस पर हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को जवाब दाखिल करने हेतु नोटिस जारी किया है
  • सरकारी तर्क
    एमपी हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में लंबित है, इसलिए याचिकाकर्ता ने कोर्ट जाना "थोड़ा जल्दी" शुरू कर दिया था—जिस कारण आगे की प्रक्रिया रोकी गई
  • डॉ. संजय मिश्रा की संभावित स्थिति
    जांच में यदि आचरण नियमों या भ्रष्टाचार के प्रमाण मिलते हैं, तो अगला कदम सस्पेंशन, विभागीय जांच या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।