अनिमेष मिश्रा

जबलपुर दैनिक द लुक। शहर में ऐसी घटना घटित हुई है जिसे बीते अर्सों में कभी किसी ने न देखा और न ही किसी संगठन की इतनी हिम्मत हुई कि उनके द्वारा एक कलेक्टर को सांकेतिक अर्थी पर लिटा कर पूरे वार्ड में घूमा दिया जाए.. हालाकिं इससे पहले कई ऐसे आंदोलन हुए है जिससे शहर पर गहरा असर पड़ा है लेकिन 14 जुलाई 2025 को विश्व हिंदू परिषद के द्वारा जो विरोध प्रदर्शन जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का किया गया है वह अकल्पनीय साबित हो रहा हैं।

दरअसल बात कुछ कदर बिगड़ी जब 12 जुलाई दिन शनिवार को जबलपुर कलेक्टर जिला प्रशासन की अधिकारिक सोशल मीडिया फेसबुक पेज पर एक सूचना जारी होती है जब तक किसी ने उक्त सूचना को पढ़ा नहीं था तब तक समान्य स्थितियां बनी हुई थी लेकिन जैसे ही जबलपुर कलेक्टर के जिला प्रशासन से जुड़े अधिकारिक सोशल मीडिया फेसबुक पेज को फॉलों करने वालों ने नोटिस को पढ़ा एवं शेयर किया तो हंगामा मच गया और माहौल ऐसा गर्माया कि जिला प्रशासन के फेसबुक पेज से उक्त पोस्ट को डिलीट करना पड़ा ताकि कोई कुछ कर न पाएं... लेकिन तब तक दर्जनों लोग जबलपुर कलेक्टर जिला प्रशासन की अधिकारिक सोशल मीडिया फेसबुक पेज से उक्त नोटिस को मोबाइल में डाउनलोड कर चुके थे औऱ शेयर भी,जिसके कुछ घंटों बाद ही पोस्ट डिलीट होने के बाद कहीं अधिक उठापटक चालू हो गई जानकार बताते है कि जबलपुर कलेक्टर के पास कुछ ही मिनटों में अनेकों बड़े लोगों के फोन पहुंच गए जिस वजह से पोस्ट को डिलीट कर दिया गया एवं विवाद को शांत करने की पहल की गई।

  • नोटिस में क्या लिखा जो मचा बवाल ---

जबलपुर कलेक्टर जिला प्रशासन की अधिकारिक सोशल मीडिया फेसबुक पेज पर रांझी के एसडीएम आर एस मरावी के द्वारा पोस्ट के माध्यम से बताया गया कि रांझी के मढ़ई इलाके में हिंदू संगठनों की शिकायत के अनुसार उक्त स्थान पर एक मस्जिद बनी हुई है जबकि उसकी वास्तविक स्थिति यह है कि उक्त जमीन हिंदुओं के गायत्री मंदिर जिसे वर्ष 1984 में समिति बनाकर वहा मंदिर निर्माण किया जाना था जबकि उक्त जमीन मढ़ई पर मस्जिद का निर्माण वर्ष 1985 किया गया हैं, जिससे स्पष्ट है कि उक्त जमीन पर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया हैं जो कि नियम विरुद्ध है इसलिए मस्जिद के अवैध कब्जें को हटाया जाए और इसी बात पर एसडीएम रांझी मरावी के द्वारा जिला प्रशासन के समझ रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें बताया गया कि ....

गायत्री बाल मंदिर संस्था का नवीन नंबर 169 बना हैं, जो बंदोबस्त के पूर्व बटांक नंबर 326/4 था। तत्समय मौके पर स्थिति स्पष्ट नहीं है और न ही वर्तमान में मौके पर उक्त संस्था का कोई कब्जा है। बंदोबस्त के दौरान बनाये गए नक्शे में नवीन नंबर 169 को जिस स्थान पर त्रुटिपूर्ण दर्शित किया गया, वहां पर मौके में पूर्व से ही मस्जिद बनी थी।

मौके पर पुराने खसरा नंबर 326 के किसी भी बटांक में उक्त जांच में यह सिद्ध पाया गया है कि मस्जिद का निर्माण बंदोबस्त के पूर्व उनके क़ब्ज़े और मालिकी हक़ की भूमि पर नहीं हुआ लेकिन बंदोबस्त में नवीन सर्वे नंबर और नक़्शा क़ब्ज़े के अनुसार निर्मित नहीं किये गए जिसकी वजह से वर्तमान में विवाद की स्तिथि निर्मित हुई है। बंदोबस्त की उक्त नक़्शा त्रुटि सुधार के लिए न्यायालय कलेक्टर जबलपुर में प्रकरण प्रस्तुत किया गया है। नक़्शा त्रुटि सुधार के लिए कलेक्टर न्यायालय में हितबद्ध/प्रभावित पक्षकारों की सुनवाई कारवाई प्रचलित है। उसके बाद भी कलेक्टर ने अपने ऑफियल पेज से प्रकरण में गायत्री बाल मंदिर संस्था, जिनके नाम पर नवीन नंबर 169 रकवा 0.02 हे. (2152 वर्गफुट) दर्ज है, उसको नकारते हुए पूरी भूमि मुस्लिम पक्ष को बता दिया गया है।

कैसे उलझ गए, कलेक्टर सक्सेना --

एसडीएम के उक्त बयान ने ही जबलपुर कलेक्टर को फंसा दिया क्योंकि एसडीएम मरावी ने बयान में स्पष्ट लिखा है कि यह सभी दस्तावेज और साक्ष्यों के साथ ही कलेक्टर जबलपुर के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है जिसके बाद कलेक्टर महोदय ने ही मुस्लिम समुदाय के पक्ष में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि रांझी की मढ़ई नामक जगह पर मस्जिद का मालिकाना अधिकार है,गायत्री मंदिर की जमीन पर कब्जा नहीं किया गया है।

इस बयान के बाद बवाल मचा, सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले हिंदु संगठनों ने कलेक्टर की सांकेतिक अर्थी सजाई और मौखिक तौर पर कहा कि क्या कलेक्टर बिक गए है हालाकिं इस घटना को देखने के बाद सवाल यहीं उठता है कि यदि जबलपुर कलेक्टर ने इस मामलें को बिना पढ़े ही क्या जिला प्रशासन के अधिकारिक फेसबुक पेज पर कलेक्ट्रेट के नोटिस के साथ पोस्ट करवा दिया। वर्तमान में जानकारी के अनुसार उक्त एसडीएम आर एस मरावी का तबादला जबलपुर से बाहर कर दिया गया है लेकिन क्या इस फैसलें से हिंदु संगठन संतुष्ट होगें या फिर एक बार फिर से कलेक्टर दीपक सक्सेना को जांच करने के बाद फैसला सुनाना होगा।

पुलिस ने किया हल्का बल प्रयोग –

विवादित घटना स्थल मढ़ई में 3 से अधिक थानों का बल मौजूद था इसके साथ ही 2 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों के साथ एक एसडीएम भी मौके पर मौजूद रहें,घटना स्थल पर जब कलेक्टर दीपक सक्सेना की सांकेतिक अर्थी को निकाला जा रहा था उस समय भी वाटर कैनन का प्रयोग किया गया लेकिन जब बात हाथ से निकलने लगी एवं विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता पुलिसियां बैरिगेट्स को तोड़कर आगे बढ़ने लगे तो हल्के बल जैसे लाठी पटकना और धक्का मुक्की का प्रयोग किया गया ताकि व्यवस्था बनी रहें लेकिन बावजूद इसके प्रदर्शनकारी मस्जिद के नजदीक तकरीबन 100 मीटर दूर तक पहुंच गए थे लेकिन फिर आखिर में मामलें को संभाल लिया गया।