कोर्ट में राहुल गांधी का दावा: 'कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स को बचाने की कोशिश की, कोई गलत इरादा नहीं था'

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मामले में आज कोर्ट में विपक्ष और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की ओर से दलीलें रखी गईं. राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने कहा कि कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को बेचने की कोशिश नहीं की थी बल्कि वो इस संस्था को बचाना चाहती थी, क्योंकि वो स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थी.
स्पेशल जज विशाल गोगने ने इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जुलाई को करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान चीमा ने कहा कि ईडी एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन क्यों नहीं दिखा रही है. एजेएल की स्थापना जवाहर लाल नेहरु, जेबी कृपलानी, रफी अहमद किदवई और दूसरे कांग्रेस नेताओं ने 1937 में की थी.
चीमा ने कहा कि एजेएल के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएएशन में कहा गया है कि उसकी सभी नीतियां कांग्रेस की होंगी. उन्होंने कहा कि एजेएल को कोई मुनाफा नहीं हुआ है. आजादी के बाद एजेएल ने कोई लाभ नहीं कमाया है. चीमा ने कहा कि एक ऐसी संस्था को बचाने की कोशिश की गई जिसका आजादी के आंदोलन में योगदान था. उन्होंने कहा कि समस्या यह थी कि एजेएल लोन से उबर नहीं पा रहा था. उसे पटरी पर लाने के लिए ये सब किया गया. चीमा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कभी भी लाभ हानि नहीं देखा.
सोनिया गांधी ने रखी थी दलीलें
बता दें कि 4 जुलाई को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से दलीलें रखी गई थी. सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि ईडी ने एक आश्चर्यजनक और अप्रत्याशित मामला बनाया है.
सिंघवी ने कहा था कि ईडी ने आश्चर्यजनक से भी ज्यादा मामला बनाया है. उन्होंने कहा था कि ये मनी लाऊंड्रिंग का ऐसा मामला है जिसमें संपत्ति का कोई जिक्र नहीं है. सिंघवी ने कहा था कि यंग इंडियन ने पूरी कार्रवाई एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को कर्ज मुक्त करने के लिए किया. उन्होंने कहा था कि हर कंपनी अपने को कर्ज मुक्त करने के लिए कानून के मुताबिक कदम उठाती है. कंपनियां अपने को कर्ज मुक्त करने के लिए दूसरी कंपनी को दे देती हैं. उन्होंने कहा था कि यंग इंडियन लाभ कमाने वाली कंपनी नहीं है. इसका मतलब है कि ये लाभांश, भत्ता, वेतन या बोनस नहीं दे सकती हैं. ये कंपनी कुछ नहीं दे सकती. सिंघवी ने कहा था कि ईडी ने सालों तक कुछ नहीं किया और किसी निजी शिकायत को आधार बनाकर कार्रवाई शुरु की.
बता दें कि 3 जुलाई को ईडी की ओर से दलीलें पूरी कर ली गयी. ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि यंग इंडियन दो हजार करोड़ रुपये की आपराधिक आय प्राप्त करने का एक साधन था और यह मनी लाऊंड्रिंग का एक क्लासिक मामला है. राजू ने कहा था कि शेयरहोल्डिंग सिर्फ नाम के लिए है और अन्य आरोपी गांधी परिवार की कठपुतली हैं। ईडी ने कहा था कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी कांग्रेस को नियंत्रित करते हैं। उनका उद्देश्य 92 करोड़ प्राप्त करना नहीं था, बल्कि उनका उद्देश्य दो हजार करोड़ रुपये प्राप्त करना था.
ईडी ने 2 जुलाई को कोर्ट को बताया था सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दो हजार करोड़ की संपत्ति के लिए मात्र 50 लाख रुपये ही दिए. ईडी ने कहा था कि एसोसिएटेड जनरल्स लिमिटेड का स्वामित्व लेने के बाद गांधी परिवार के नियंत्रण वाली यंग इंडियन लिमिटेड ने घोषणा की कि वो नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन नहीं करेगा.
कोर्ट ने 2 मई को इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत सात आरोपियों को नोटिस जारी किया था. ईडी ने 15 अप्रैल को कोर्ट में अभियोजन शिकायत दाखिल किया था. ईडी ने इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया है. ईडी ने मनी लाऊंड्रिंग कानून की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दाखिल किया है. ईडी की ओर से पेश वकील एनके माटा ने कहा था कि इस मामले में 2019 में सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 403, 406 और 420 के तहत एफआईआर दर्ज किया था.
इस मामले में शिकायतकर्ता सुब्रह्ण्यम स्वामी का आरोप है कि दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 16 सौ करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया. स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. जबकि गांधी परिवार ने दलील दी थी कि उन्हें बेवजह प्रताड़ित करने के मकसद से अदालत के समक्ष याचिका लगाई गई है.