1 जुलाई से सरकारी शिक्षकों की लागू होगी नई उपस्थिति प्रणाली

अनिमेष मिश्रा

जबलपुर दैनिक द लुक। मध्य प्रदेश के स्कूलों में 1 जुलाई 2025 से “हमारे शिक्षक” मोबाइल ऐप के ज़रिए डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम लागू होने जा रहा है,यह सिस्टम फेसरिकग्निशन और लोकेशन की मदद से हर घंटे की उपस्थिति रिकॉर्ड करेगा। जिसके माध्यम से सरकारी शिक्षकों के लिए एक दिन में 2 बार उपस्थिति दर्ज करनी होगीं। सरकार के इस नई प्रणाली से काफी हद तक शिक्षा व्यवस्था को अव्वल पायदान पर ले जाने में सहायता मिलेगी और पहले से अधिक जहां कई मामलों में शिक्षक अपने कर्तव्यों से विमुख होते नजर आते है उनके लिए तो यह नए एपलिकेशन के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने वाली यह प्रणाली उन्हें काम के प्रति सजग बनाएगी।

  • क्या है ‘हमारे शिक्षक’ ( माय शिक्षक ) ऐप ?
    यह मोबाइल पोर्टल स्कूल शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें शिक्षक अपने मोबाइल से फेस स्कैन और लोकेशन के ज़रिए उपस्थिति दर्ज करेंगे। इसमें छुट्टी आवेदन, पेंशन, प्रोफ़ाइल अपडेट और विभागीय आदेशों की सुविधा भी शामिल है।
  • ट्रायल की स्थिति:
    23 जून से पायलट टेस्टिंग शुरू हुई, श्योपुर जैसे जिलों में लगभग 3,500 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। 30 जून तक यह टेस्ट चलेगा, और उसके बाद व्यवस्था पूरे राज्य में लागू की जाएगी।
  • अभियान की घोषणा:
    सरकारी आदेशों के अनुसार, 1 जुलाई 2025 से यह एप अनिवार्य होगा। इसमें शिक्षक को कुछ घंटो में उपस्थिति दर्ज करानी होगी, अगर वे देर से आए या अनुपस्थित रहे, तो उन्हें आधा CL (Casual Leave) कटेगा।
  • तकनीकी फीचर्स:
    फेस रेकग्निशन और GPS लोकेशन के द्वारा प्रत्येक घंटे की उपस्थिति निश्चित होगी। यदि निर्धारित समय में उपस्थिति दर्ज नहीं होती — उदाहरण के लिए, एक घंटे में नहीं तो — आधा दिन की छुट्टी कट जाएगी
  • विवाद और विरोध:
    कुछ शिक्षक संगठनों ने विरोध जताया है, उनका कहना है कि इस तरह का सिस्टम बिना तकनीकी समस्याओं के समाधान और संवेदनशील दृष्टिकोण के लागू नहीं होना चाहिए
    कुछ शिक्षकों का मानना है कि मोबाइल नेटवर्क, स्मार्टफोन की उपलब्धता और डेटा संरक्षण जैसी समस्याएँ इस प्रणाली की सफलता में बाधक हो सकती हैं


  • सिस्टम की संभावित सफलता पर विश्लेषण
   

फ़ायदे

 

उपस्थिति में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, शिक्षक ‘ghosting’ नहीं कर पाएंगे। डिजिटली उपलब्ध डेटा से प्रशासनिक निर्णय बेहतर होंगे।

चुनौतियां

 

मोबाइल फोन, नेटवर्क या तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में उपस्थिति छूट सकती है। तकनीकी समायोजन की कमी परेशानी बढ़ा सकती है।

संवेदनशीलता की ज़रुरत

एप शुरू करने से पहले शिक्षकों की चिंताओं का समाधान जैसे बैक‑अप व्यवस्था, हेल्पलाइन, ग्रेस पीरियड आदि की व्यवस्था जरूरी है।

पायलट की भूमिका

 

ट्रायल के दौरान मिली प्रतिक्रिया के आधार पर पॉलिसी में सुधार संभव है। परीक्षण चरण की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

 

हमारे शिक्षक” ऐप के ज़रिए डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था 1 जुलाई 2025 से लागू होगी। यदि तकनीकी चुनौतियों को काबू में रखा गया और शिक्षकों की चिंताओं के अनुसार व्यवस्था संवेदनशील बनाई गई — तो यह कदम शिक्षा व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता की दिशा में उपयोगी साबित हो सकता है। इनसे जुड़े भावी सुधारों, और परीक्षण के बाद पढ़े जाने वाली रिपोर्टों पर भी ध्यान देना आवश्यक होगा।