2 रुपये में इलाज करने वाले शहर के नामीग्रामी डॉ. डाबर का निधन

अनिमेष मिश्रा
जबलपुर दैनिक द लुक। यह एक उद्धारकर्ता‑डॉक्टर की पुण्य स्मृति है — जबलपुर के पद्मश्री डॉ. एम.सी. डावर (Munishwar Chandar Dawar) का निधन आज, 4 जुलाई 2025 को हुआ। ये वह डॉक्टर थे जिन्हें गरीबों के ‘मसीहा’ के रूप में जाना जाता था।
जीवन परिचय
- जन्म और शिक्षा: 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब में जन्मे, विभाजन के बाद परिवार के साथ भारत आए, उन्होंने 1967 में जबलपुर से MBBS किया।
- सेना सेवा: 1971 के भारत‑पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना में उनके योगदान की सराहना की गई ।
- डॉक्टरी‑प्रैक्टिस: 1972 में जबलपुर मदनमहल में क्लीनिक खोला। शुरुआत सिर्फ 2 रुपये और बाद में केवल 20 रुपये शुल्क पर गरीबों का इलाज करते रहे।
जीवन - यात्रा और विरासत
- 1972 से उन्होंने गरीबों से सिर्फ ₹2 की फीस लेकर इलाज शुरू किया, जो बाद में ₹20 तक बढ़ी, लेकिन कभी लाभ कमाने की कोशिश नहीं की। 2023 में पद्मश्री सम्मान उन्हें उनकी सेवाओं के लिए दिया गया था। रोज़ाना 150–200 मरीज, खासकर वंचित तबके के, उनका इलाज करवाने आते थे।
सम्मान – पद्मश्री
देश‑सेवा में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2023 में प्रतिष्ठित पद्मश्री से सम्मानित किया। दैनिक रूप से लगभग 200 मरीजों का नि:शुल्क या बेहद कम शुल्क (20 रुपये) में इलाज करते थे — दूरदराज से लोग इलाज हेतु आते थे। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ट्वीट करके कहा: “पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है... यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है।”
निधन
- तारीख और समय: 4 जुलाई 2025 की सुबह लगभग 9:30 बजे, जबलपुर कलक्टर द्वारा सामाजिक मीडिया पर इसकी पुष्टि की गई थी।
डॉ. एम.सी. डावर का जाना चिकित्सा और सामाजिक सेवा जगत के लिए एक गहरी क्षति है। गरीबों की स्वास्थ्य सुविधा के प्रति उनका समर्पण और सेवा भाव प्रेरणादायक था। उनका जीवन मानव कल्याण की मिसाल था — इसलिए उनकी कमी सदैव महसूस की जाएगी।
डॉ. डावर का निधन शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 की सुबह लगभग 9:30 बजे उनके आवास पर हुआ, जिसे जबलपुर कलेक्टर ने सोशल मीडिया पर कंफर्म किया। उनका पार्थिव शरीर शाम 4 बजे, गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। यह पूरे जबलपुर शहर में आयोजित हुआ, जहाँ बड़ी संख्या में मरीज, चिकित्सा सहकर्मी और आमजन शामिल हुए,कई भावुक लोग, जिन्हें कभी रक्तबीज वाले इलाज की जानकारी थी, अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। कई ने कहा, “डॉ डावर हमारे लिए भगवान थे” उनकी याद में जबलपुरवासियों की आँखें भर आईं।