अनिमेष मिश्रा

जबलपुर दैनिक द लुक। जिले में लॉ एंड आर्डर का पालन कराने वाली जबलपुर पुलिस और उनके जिला कप्तान को 7 जून के दिन पोहा दिवस का आंनद उठाने एवं महापौर के आंगन में खिलखिलाने के लिए आमंत्रित किया गया,जहां भाजपा के लगभग 3 विधायक भी सुबह 8 बजे पहुंच गए लेकिन बीते 15 दिनों पहले माढ़ोताल क्षेत्र में मतलब कि 18 मई 2025 दिन रविवार को दैनिक द लुक समाचार पत्र के पत्रकार के घर पर 3 अज्ञात हमलावरों के द्वारा माढ़ोताल थाने से महज 3 किलो मीटर दूरी पर घर पर एक साथ 2 बम पटक कर घटना को अंजाम दिया जाता है लेकिन उन्हें पकड़ने के नाम पर जबलपुर पुलिस ने केवल एफआईआर करने का काम किया और उसके आगे की प्रकिया को भूल गई... और आरोपी निश्चिंत होकर शहर के किसी न किसी कोने में घूम रहे होगें लेकिन पत्रकार की सुरक्षा का क्या हुआ इस बात की चिंता जबलपुर पुलिस को बिलकुल नहीं है और यदि किसी दिन कोई अप्रिय घटना घटित हो जाएगी तब जाकर प्रशासन की आंखो पर बंधी हुई पट्टी हटेगी लेकिन तब तक किसी आम पत्रकार का भारी नुकसान हो जाएगा।

हमला हुआ,रात के 3 बजे ---

दैनिक द लुक समाचार पत्र में कार्यरत् पत्रकार के घर रविवार की सुबह 3 बजकर 4 मिनट पर 3 अज्ञात युवक रात के अंधेरे में निवास स्थान करमेता,स्टार सिटी में पहुंचते है और घर का एक चक्कर लगाने के बाद लौटकर वापस पत्रकार के घर के सामने दो पहिया वाहन को रोकते है जिसमें पीछे बैठा हुआ तीसरे नंबर का बदमाश पत्रकार के घर पर 2 बम लगातार जोर से फेकता है जिसके बाद इलाके में जोर की आवाज के साथ तेज रोशनी होती हैं और घर के गेट से टकराने के बाद बम जब फूटता है तो बारुद से आग भी लग जाती है.. कैमरे में कैद तस्वीरों से यह समझ आता है कि बदमाशों ने अपने नंबर प्लेट पर को गायब कर दिया था और साथ ही अपने दो पहिया वाहन पर रोशनी वाली लाईटें लगा रखी थी। 

यह पूरी घटना पत्रकार के घर में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो जाती है फिर तत्काल माढ़ोताल पुलिस को बताया जाता है पुलिस के 5 जवान मौके पर पहुंचते हैं लेकिन 18 दिन बीत जाने के बाद भी जबलपुर जिले के कप्तान और उनकी टीम बेहोशी की अवस्था में होती है लेकिन आरोपियों को नहीं पकड़ पाती है। इस विषय पर 2 बार एडिश्नल एसपी आंनद कलादगी को भी मामले की जानकारी दी गई लेकिन उनके द्वारा भी कार्यवाही के नाम पर केवल हवाबाजी की गई जिसके पीछे एक वजह है कि उन्होंने पत्रकार द्वारा भेजे गए घटना के वीडियो को न ही देखा और न ही विषय को सुना।

पुलिस के कैमरों की खुल गई पोल ---   
शहर में कहने के लिए तो सैकड़ो कैमरे लगे हुए है लेकिन फिर भी बदमाश किस तरह से जबलपुर पुलिस को गुमराह कर जाते है इस बात का उदाहरण पत्रकार के घर पर हुए हमलें से लगाया जा सकता है कि किस प्रकार से पुलिस के कैमरों की हालात इतनी खराब है कि माढ़ोताल के एएसआई जो पत्रकार के घर पर हमलें की घटना की विवेचना कर रहे है उनका कहना है कि कैमरे में आरोपी ट्रेस नही हो रहे है क्योंकि रात का समय हैं...जब ऐसे ही हालातों से निपटने के लिए पुलिस को कैमरों की सुविधा मिली है तो फिर आखिर उसका सही तरीके से उपयोग करने में पुलिस क्यों कतरा रही है यह तो जिला कप्तान ही जाने...

इस बात से एक बात तो स्पष्ट है कि जब पत्रकार की सुरक्षा पर सेंध लगाने वाले अपराधियों पर पुलिस नकेल नहीं कस सकती है तो जनता की क्या ही हजामत जबलपुर पुलिस के द्वारा की जाती होगी यह गंभीर विषय हैं हालाकिं जबलपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में वर्तमान समय में 4 एडिश्नल एसपी बैठते है जिनमें से मात्र 2 पुलिस अफसर ही सक्रिय रहते है बाकि बचें अफसर मात्र दिखावें की कार्यवाहियों में व्यस्त रहते हैं।